दूसरे किसी भी फ्लू से खतरनाक क्‍यों है कोरोना?

दूसरे किसी भी फ्लू से खतरनाक क्‍यों है कोरोना?

सेहतराग टीम

क्‍या आप भ्रम में है कि कोरोनावायरस सीजनल फ्लू के मुकाबले गंभीर क्यों है? संक्षेप में पढि़ए। आशा है कि ये आपकी मदद करेगा। इसे बेझिझक शेयर करें ताकि उन्‍हें भी समझ आए, जो समझना नहीं चाहते।

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इसका संबंध आरएनए सिक्‍वेसिंग यानी जेनेटिक्‍स से है।

सीजनल यानी मौसमी फ्लू एक "मानव वायरस" (ऑल ह्यूमन वायरस) है। इस वायरस को बनाने वाले डीएनए/आरएनए चेन को इंसानी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्‍युन सिस्‍टम पहचानता है। इसका मतलब यह है कि इसके हर साल आने से पहले आपके शरीर में उसके प्रति थोड़ी इम्‍युनिटी होती है। आपको दो तरीके से इम्‍युनिटी मिलती है - वायरस के संपर्क में आने से, या फ़्लू का टीका लगने से।

इसके उलट, नोवेल वायरस, जानवरों से आते हैं। डब्ल्यूएचओ जानवरों में नोवेल वायरसों को ट्रैक करता है, (कभी-कभी सालों तक म्‍युटेशन पर नज़र रखता है)। आमतौर पर ये वायरस केवल पशुओं से पशुओं में स्थानांतरित होते हैं (H1N1 के मामले में सूअर) (स्पेनिश फ्लू के मामले में पक्षी)। लेकिन एक बार, इनमें से एक एनिमल वायरस म्‍यूटेट हो जाता है, और जानवरों से मनुष्यों में ट्रांसफर होना शुरू कर देता है, फिर यह एक समस्या बन जाताा है। क्यों? क्योंकि हमारे पास कोई कुदरती या हासिल की गई इम्‍युनिटी नहीं होेती है। वायरस के अंदर के जीन की आरएनए सिक्‍वेंसिंग चूंकि मनुष्‍य से संबंधी नहीं है, और इंसानी इम्‍युनिटी इसे नहीं पहचानती है, इसलिए हम इससे लड़ नहीं सकते।

कभी-कभी, म्‍यूटेशन केवल जानवर से मनुष्य में ट्रांसफर की अनुमति देता है, वर्षों तक यह केवल संक्रमित जानवर से मानव में संप्रेषित होता है, इसके बाद आखिरकार वह म्‍युटेट होता है, जिससे अब वह मनुष्‍य से मनुष्‍य में ट्रांसफर हो सकता है। एक बार जब ऐसा होता है, फिर नया संक्रामक चरण शुरू हो जाता है। और इस नए म्‍युटेशन की बनावट यह तय करती है कि वह कितना संक्रामक या कितना घातक होगा।

H1N1 जानलेवा था लेकिन यह स्पैनिश फ्लू जितने घातक तरीके से म्‍युटेट नहीं हुआ। इसका आरएनए धीमा था और इसने लोगों पर अलग तरह से हमला किया।

अब, यहां यह कोरोनावायरस आया है। यह सिर्फ जानवरों में था, पता नहीं कि कब से, लेकिन दिसंबर 2019 में एक दिन वुहान, चीन में यह म्‍युटेट हो गया और जानवरों से इंसानों तक पहुंच गया। पहले सिर्फ जानवर इसे इंसान में फैला सकते थे। मगर अब यह डरावना हो गया है। सिर्फ दो सप्‍ताह में यह फिर से म्‍युटेट हो गया और मनुष्‍य से मनुष्‍य में जाने की क्षमता हासिल कर की।

यह कोरोनावायरस  किसी भी रूप में "मानव" वायरस नहीं है (जिनके प्रति हम सभी में कुछ न कुछ इम्‍युनिटी होती है)। यह रॉकेट की तरह उठा। और इसका कारण यह था कि इंसानों में इसकी कोई इम्‍युनिटी नहीं है और डॉक्टरों के पास इसकी कोई दवा नहीं है।

और इस विशेष रूप से म्‍युटेट एनिमल वायरस ने खुद को इस रूप में बदल दिया कि यह इंसान के फेफड़ों के लिए बहुत नुकसानदायक है।

यही वजह है कि कोरोनावायरस सीजनल फ्लू या एच1एन1 या किसी दूसरे प्रकार के इन्फ्लुएंजा से अलग है। और यह फेफड़े के लिए काल है। अब यह फिर से म्‍युटेट हो गया है इसलिए अब हमें दो स्‍ट्रेन से निपटना है, स्‍ट्रेन एस और स्‍ट्रेन एल, जिससे टीका विकसित करना दोगुना मुश्किल हो जाता है।

हमारे पास अभी वाकई कोई उपाय नहीं है। इतिहास ने दिखाया है कि सार्वजनिक स्थानों को तत्‍काल बंद करने से पिछली महामारियों में मदद मिली है। फिलाडेल्फिया और बाल्टीमोर ने 1918 में कार्यक्रमों को बंद करने में अनिच्छा दिखाई और स्पेनिश फ्लू के दौरान अमेरिका में वे सबसे अधिक प्रभावित हुए।

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फैक्टॉइड: हेनरी अष्‍टम अपने कमरे में रहे और किसी को अपने पास फटकने नहीं दिया, जब तक कि ब्लैक प्लेग गुज़र नहीं गया। (ईमानदारी से, मैं अब उन्‍हें बेहतर समझता हूं)। हमारी तरह ही, उनके पास भी सोशल आइसोलेशन के अलावा कोई उपाय नहीं था।

और मुझे यह कहकर समाप्‍त करने दीजिए। अभी यह बूढ़े लोगों को अधिक प्रभावित कर रहा है मगर यह जीनोम बहुत फिसलन भरा है। अगर यह फिर से म्‍युटेट हो गया (जो कि वह होगा)। क्‍या पता वह अब क्‍या करेगा।

स्‍मार्ट बनिए। अपने आप को बेखौफ़ दिखाना बुद्धिमानी नहीं है।

कर्व को सीधा कीजिए। घर पर रहिए और बाकियों को भी इसके लिए प्रोत्‍साहित कीजिए।

 

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